भारत (1800-1850): प्रमुख राजनीतिक घटनाएँ | Political Events

1. परिचय: कंपनी से साम्राज्य तक का सफर

वर्ष 1800 से 1850 का समय भारतीय इतिहास में एक निर्णायक मोड़ था। यह वह दौर था जब ईस्ट इंडिया कंपनी एक व्यापारिक संस्था से बदलकर भारत की सर्वोच्च राजनीतिक शक्ति बन गई। इस आधी सदी के दौरान हुए युद्धों, संधियों, प्रशासनिक सुधारों और विद्रोहों ने भारत के भविष्य को आकार दिया और अंततः 1857 के महाविद्रोह की नींव रखी।


2. 1800 से 1850 का विस्तृत घटनाक्रम (Timeline)

इस अवधि की प्रमुख राजनीतिक, सामाजिक और सैन्य घटनाओं का वर्षवार विवरण नीचे दिया गया है:

  • 1800: मद्रास में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना (सिविल सेवकों के प्रशिक्षण के लिए)।
  • 1801: अवध पर ब्रिटिश नियंत्रण ; नवाब सादत अली खान ने आधे राज्य के प्रशासनिक अधिकार कंपनी को सौंपे।
  • 1802: बेसिन की संधि (Treaty of Bassein) — पेशवा बाजीराव द्वितीय ने अंग्रेजों की शरण ली।
  • 1803–1805: द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध — अंग्रेजों ने मराठा सरदारों (सिंधिया, भोंसले और होल्कर) को पराजित किया।
  • 1805: युद्ध समाप्त; दिल्ली और आगरा पर ब्रिटिश नियंत्रण स्थापित हुआ।
  • 1806: वेल्लोर का सिपाही विद्रोह — भारतीय सैनिकों द्वारा किया गया पहला बड़ा विद्रोह, जिसका कारण धार्मिक प्रतीकों पर रोक था।
  • 1813: चार्टर एक्ट 1813 — ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत के साथ व्यापारिक एकाधिकार समाप्त हुआ; ईसाई मिशनरियों को भारत आने की अनुमति मिली।
  • 1814–1816: आंग्ल-नेपाल युद्ध — यह सुगौली की संधि के साथ समाप्त हुआ, जिससे भारत-नेपाल सीमाएँ तय हुईं।
  • 1817: पाईका विद्रोह (ओडिशा) — बक्सी जगबंधु के नेतृत्व में ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह।
  • 1817–1819: तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध — मराठा साम्राज्य का पूर्णतः पतन; पेशवा का पद समाप्त कर दिया गया।
  • 1820 का दशक: रैयतवाड़ी व्यवस्था का विस्तार (मद्रास और बॉम्बे प्रेसीडेंसी में)।
  • 1824–1826: प्रथम आंग्ल-बर्मा युद्ध — यांडूब की संधि के बाद असम और अराकान पर अंग्रेजों का कब्जा।
  • 1828: ब्रह्म समाज की स्थापना — राजा राममोहन राय द्वारा सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन की शुरुआत।
  • 1829: सती प्रथा उन्मूलन — राजा राममोहन राय के प्रयासों से गवर्नर-जनरल विलियम बेंटिक ने सती प्रथा को अवैध घोषित किया।
  • 1830 का दशक: ठगी प्रथा का दमन — कर्नल स्लीमन के नेतृत्व में संगठित अपराधी गिरोहों (ठगों) का अंत।
  • 1831: कोल विद्रोह — छोटानागपुर क्षेत्र में आदिवासियों का अंग्रेजों और बाहरी लोगों के खिलाफ विद्रोह।
  • 1833: चार्टर एक्ट 1833 — बंगाल के गवर्नर-जनरल को 'भारत का गवर्नर-जनरल' बनाया गया (लॉर्ड विलियम बेंटिक पहले बने)।
  • 1835: अंग्रेजी शिक्षा अधिनियम — लॉर्ड मैकाले की सिफारिश पर शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी बनाया गया।
  • 1839–1842: प्रथम आंग्ल-अफ़गान युद्ध — अंग्रेजों की आक्रामक नीति विफल रही और ब्रिटिश सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
  • 1843: सिंध का विलय — सर चार्ल्स नेपियर ने सिंध को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया।
  • 1845–1846: प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध — सिखों की हार; लाहौर की संधि।
  • 1848: लॉर्ड डलहौजी का आगमन और 'व्यपगत के सिद्धांत' (Doctrine of Lapse) की शुरुआत। सतारा का विलय किया गया।
  • 1848–1849: द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध — पंजाब का पूर्ण विलय ब्रिटिश भारत में हुआ।
  • 1849: पंजाब का विलय — भारत की उत्तर-पश्चिमी सीमा तक ब्रिटिश शासन स्थापित।
  • 1850: लेक्स लोकी अधिनियम (Lex Loci Act) — धर्म परिवर्तन करने वाले हिंदुओं को पैतृक संपत्ति का अधिकार दिया गया।

3. इस काल की मुख्य विशेषताएँ

  • राजनीतिक एकीकरण: ब्रिटिशों ने मराठा, सिख और अन्य शक्तियों को हराकर लगभग पूरे भारत पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित कर लिया।
  • सामाजिक सुधार: सती प्रथा पर रोक, ठगी का अंत और अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत से भारतीय समाज में आधुनिकता और सुधारवाद का दौर शुरू हुआ।
  • आर्थिक बदलाव: भू-राजस्व की नई प्रणालियों (रैयतवाड़ी, महालवाड़ी) ने पारंपरिक ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदल दिया।
  • विद्रोह के बीज: डलहौजी की विलय नीति और सामाजिक हस्तक्षेप ने भारतीयों में असंतोष पैदा किया, जो आगे चलकर 1857 की क्रांति का कारण बना।

4. निष्कर्ष

1800 से 1850 का कालखंड भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के सुदृढ़ीकरण का युग था। जहाँ एक तरफ अंग्रेजी शिक्षा और प्रशासनिक एकता ने आधुनिक भारत की नींव रखी, वहीं दूसरी तरफ आर्थिक शोषण और आक्रामक विस्तारवादी नीतियों ने व्यापक जन-असंतोष को जन्म दिया। यह काल भारत के इतिहास में मध्यकाल से आधुनिक काल की ओर संक्रमण का एक महत्वपूर्ण चरण था।

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