बेसिन की संधि (1802): मराठा पतन | Treaty of Bassein

Meta Description: बेसिन की संधि (बसई की संधि) 1802 में पेशवा बाजीराव द्वितीय और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुई। जानें इसके कारण, शर्तें, सहायक संधि प्रणाली में इसका महत्व और मराठा साम्राज्य के पतन में इसकी भूमिका।

                                             

बेसिन की संधि (बसई की संधि) 1802

          


सामग्री सूची (Table of Contents)


1. प्रस्तावना: बेसिन की संधि क्या थी?

भारतीय इतिहास में बेसिन की संधि (Treaty of Bassein), जिसे बसई की संधि भी कहा जाता है, एक ऐसी महत्वपूर्ण घटना है जिसने मराठा साम्राज्य के गौरवशाली इतिहास को हमेशा के लिए बदल दिया। यह संधि 31 दिसंबर 1802 को तत्कालीन पेशवा बाजीराव द्वितीय और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुई थी। यह संधि वास्तव में लॉर्ड वेलेजली की महत्त्वाकांक्षी सहायक संधि (Subsidiary Alliance) प्रणाली का एक जाल थी, जिसमें पेशवा अपनी स्वतंत्रता खो बैठे।


2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: संधि की नौबत क्यों आई?

18वीं शताब्दी के अंत तक, मराठा संघ (Maratha Confederacy) भारत में एकमात्र ऐसी देशी शक्ति बची थी जो अंग्रेजों को कड़ी चुनौती दे सकती थी। हालांकि, मराठा सरदार — जैसे सिंधिया (Gwalior), होल्कर (Indore), और भोंसले (Nagpur) — आपसी कलह और शक्ति संघर्ष में बुरी तरह उलझे हुए थे।

यह संधि उस समय हुई जब पूना की राजनीति में अराजकता चरम पर थी। पेशवा बाजीराव द्वितीय को होल्कर सरदार यशवंतराव होल्कर के हाथों हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद, अपनी गद्दी बचाने के लिए पेशवा ने ब्रिटिश संरक्षण की तलाश की और लॉर्ड वेलेजली ने इस अवसर का लाभ उठाकर सहायक संधि स्वीकार कराने में सफलता पाई।


3. बेसिन की संधि के प्रमुख कारण

  • पेशवा की राजनीतिक दुर्बलता: पेशवा बाजीराव द्वितीय एक कमजोर शासक थे और मराठा सरदारों पर उनका नियंत्रण लगातार कम हो रहा था।
  • मराठा सरदारों का आपसी संघर्ष: सिंधिया और होल्कर के बीच की शत्रुता ने मराठा संघ को अंदर से खोखला कर दिया था।
  • ब्रिटिश विस्तारवाद: गवर्नर-जनरल लॉर्ड वेलेजली भारत में ब्रिटिश सर्वोच्चता स्थापित करना चाहते थे और मराठा शक्ति को तोड़ना उनका मुख्य लक्ष्य था।
  • पेशवा का आत्मसमर्पण: होल्कर से हारने के बाद पेशवा ने पूना छोड़कर ब्रिटिशों के पास शरण ली, जो इस संधि का तात्कालिक कारण बना।

4. बेसिन की संधि (1802) की प्रमुख शर्तें

बेसिन की संधि अनिवार्य रूप से एक सहायक संधि थी। इसकी शर्तें मराठा संप्रभुता के लिए घातक सिद्ध हुईं:

  1. ब्रिटिश सेना का स्थाई जमावड़ा: पेशवा को पूना में 6,000 सैनिकों की एक स्थायी ब्रिटिश सेना रखने पर सहमत होना पड़ा, जिसके खर्च के लिए उन्हें एक बड़ा भू-भाग कंपनी को सौंपना पड़ा।
  2. ब्रिटिश रेजिडेंट: पेशवा ने अपने दरबार में एक ब्रिटिश रेजिडेंट रखने की अनुमति दी, जिससे कंपनी पूना की राजनीति पर सीधा नियंत्रण रख सकती थी।
  3. विदेश नीति पर प्रतिबंध: पेशवा किसी भी अन्य यूरोपीय शक्ति से कोई संबंध नहीं रख सकते थे और अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का संचालन नहीं कर सकते थे।
  4. विवादों में मध्यस्थता: पेशवा ने निजाम और गायकवाड़ से जुड़े सभी विवादों में कंपनी को मध्यस्थ के रूप में स्वीकार किया।

5. सहायक संधि प्रणाली में बेसिन संधि का महत्व

यह संधि सहायक संधि प्रणाली की सफलता का चरम बिंदु थी। इसके माध्यम से अंग्रेजों ने कानूनी और सैन्य दोनों तरीकों से मराठा राजनीति के केंद्र, यानी पेशवा पर नियंत्रण कर लिया। यह एक ऐसी कूटनीतिक जीत थी जिसने भविष्य के भारत के राजनीतिक भविष्य की दिशा बदल दी।


6. द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध पर संधि का प्रभाव

बेसिन की संधि ने अन्य मराठा सरदारों में गहरी नाराज़गी और अपमान की भावना पैदा की। सिंधिया और भोंसले ने इसे मराठा सम्मान पर हमला माना और संधि को अस्वीकार कर दिया। इसी के परिणामस्वरूप 1803 में द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध छिड़ गया, जिसमें अंग्रेजों ने एक-एक कर मराठा सरदारों को हराया और अपना क्षेत्रीय नियंत्रण और भी मजबूत किया।


7. संधि के दूरगामी परिणाम और मराठा शक्ति का पतन

  • मराठा संघ का विघटन: इस संधि ने मराठा संघ की एकता को पूरी तरह से तोड़ दिया। पेशवा, जो संघ का प्रमुख था, अब खुद अंग्रेजों का आश्रित बन गया।
  • ब्रिटिश सर्वोच्चता की स्थापना: दक्षिण और दक्कन में कंपनी का नियंत्रण सुदृढ़ हुआ और मराठा चुनौती लगभग समाप्त हो गई।
  • आर्थिक शोषण: पेशवा से मिले बड़े भू-भाग की आय और संसाधनों ने कंपनी की सैन्य शक्ति को और भी बढ़ा दिया, जिसका उपयोग उन्होंने भारत के अन्य हिस्सों पर कब्जा करने के लिए किया।

8. निष्कर्ष

बेसिन की संधि (1802) केवल एक कूटनीतिक दस्तावेज नहीं थी, बल्कि यह मराठा साम्राज्य के ताबूत में आखिरी कील साबित हुई। मराठा सरदारों की आपसी फूट और पेशवा बाजीराव द्वितीय के एक गलत निर्णय ने अंग्रेजों को वह सुनहरा अवसर दे दिया, जिसका लाभ उठाकर उन्होंने पूरे भारत पर अपने प्रभुत्व की नींव रख दी। इस संधि ने यह साबित कर दिया कि आंतरिक कमजोरी किसी भी बाहरी ताकत से ज्यादा खतरनाक होती है।


9. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1: बेसिन की संधि किसके बीच हुई थी?
उत्तर: यह संधि 31 दिसंबर 1802 को मराठा पेशवा बाजीराव द्वितीय और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुई थी।

प्रश्न 2: बेसिन की संधि का सबसे बड़ा परिणाम क्या था?
उत्तर: इसका सबसे बड़ा परिणाम यह था कि मराठा संघ की एकता टूट गई और पेशवा अंग्रेजों के अधीन हो गए, जिससे द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध का मार्ग प्रशस्त हुआ।

प्रश्न 3: क्या बेसिन की संधि ने मराठा साम्राज्य को खत्म कर दिया?
उत्तर: इस संधि ने मराठा साम्राज्य को सीधे खत्म तो नहीं किया, लेकिन इसने मराठा शक्ति की नींव को इतना कमजोर कर दिया कि उनका पतन निश्चित हो गया।


इस ऐतिहासिक संधि के बारे में आपकी क्या राय है? क्या आपको लगता है कि अगर मराठा सरदार एकजुट होते तो भारत का इतिहास कुछ और हो सकता था? अपने विचार नीचे कमेंट्स में जरूर बताएं!

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