नेहरू रिपोर्ट क्या थी? Nehru Report 1928

1. प्रस्तावना

नेहरू रिपोर्ट (1928) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान तैयार किया गया एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है, जो भारत के लिए एक स्वशासी संविधान का प्रारूप प्रस्तुत करता है। यह रिपोर्ट ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गई चुनौती के उत्तर में भारतीय नेताओं द्वारा एकजुट होकर तैयार की गई थी।

नेहरू रिपोर्ट क्या थी? Nehru Report 1928





2. नेहरू रिपोर्ट क्या थी?

नेहरू रिपोर्ट 1928 में सर्वदलीय सम्मेलन (All-Parties Conference) द्वारा गठित एक समिति की रिपोर्ट थी। इस समिति की अध्यक्षता मोतीलाल नेहरू ने की थी। यह रिपोर्ट भारत के लिए डोमिनियन स्टेटस (Dominion Status) के तहत एक संविधान का पहला भारतीय प्रारूप पेश करती थी।

3. नेहरू रिपोर्ट क्यों बनाई गई?

1927 में साइमन कमीशन के गठन के बाद, जिसमें कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था, भारत में इसका भारी विरोध हुआ। इसी विरोध के जवाब में, तत्कालीन भारत सचिव (Secretary of State) लॉर्ड बर्केनहेड ने भारतीय नेताओं को चुनौती दी कि यदि वे सक्षम हैं, तो सभी दलों द्वारा स्वीकृत एक संविधान का प्रारूप प्रस्तुत करें। इसी चुनौती को स्वीकार करते हुए सर्वदलीय सम्मेलन ने मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में यह रिपोर्ट तैयार करवाई।

4. रिपोर्ट किसने और कब तैयार की?

यह रिपोर्ट मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक समिति द्वारा तैयार की गई थी। इस समिति में जवाहरलाल नेहरू (सचिव), तेज बहादुर सप्रू, सुभाष चंद्र बोस, अली इमाम, एम.एस. अणे, एम.आर. जयकर, और शुएब कुरैशी जैसे प्रमुख नेता शामिल थे। समिति ने अपनी रिपोर्ट अगस्त 1928 में प्रस्तुत की।

5. मुख्य सिफारिशें

  • भारत को डोमिनियन स्टेटस देना।
  • नागरिकों के लिए 19 मौलिक अधिकारों की गारंटी (जिसमें महिलाओं को समान अधिकार शामिल थे)।
  • धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना (धर्म का राजनीति से पृथक्करण)।
  • केंद्र में द्विसदनीय विधायिका के साथ एक संघीय ढांचा।
  • वयस्क मताधिकार के आधार पर संयुक्त निर्वाचन प्रणाली (सांप्रदायिक निर्वाचन क्षेत्रों के स्थान पर)।

6. नेहरू रिपोर्ट पर प्रतिक्रियाएं

रिपोर्ट पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिलीं। मुस्लिम लीग ने, मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में, रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया क्योंकि इसमें अलग निर्वाचन क्षेत्रों की मांग को खारिज कर दिया गया था। इसके विरोध में जिन्ना ने अपनी प्रसिद्ध 14 सूत्रीय मांगें प्रस्तुत कीं। कांग्रेस के भीतर भी, जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस जैसे युवा नेता 'डोमिनियन स्टेटस' से नाखुश थे; वे 'पूर्ण स्वराज' (Complete Independence) की मांग कर रहे थे।

7. नेहरू रिपोर्ट का प्रभाव

हालांकि ब्रिटिश सरकार ने इस रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया और यह सर्वसम्मति बनाने में भी विफल रही, लेकिन इसने भारतीय संविधान निर्माण की नींव रखी। यह पहला बड़ा भारतीय प्रयास था जिसने एक लिखित संविधान का खाका पेश किया। बाद में, 1950 में अपनाए गए भारतीय संविधान में नेहरू रिपोर्ट के कई सुझावों (जैसे मौलिक अधिकार, संघीय ढांचा, धर्मनिरपेक्षता) को शामिल किया गया।

8. प्रमुख व्यक्तियों के विचार

  • मोतीलाल नेहरू: “यह (रिपोर्ट) भारत की एकता और स्वशासन की इच्छा की अभिव्यक्ति है।”
  • जवाहरलाल नेहरू: (शुरुआत में असंतुष्ट) “यह रिपोर्ट हमारे लक्ष्य (पूर्ण स्वराज) से एक कदम पीछे है, लेकिन यह एकता की दिशा में एक प्रयास है।”
  • मोहम्मद अली जिन्ना: “यह रिपोर्ट मुस्लिमों के अधिकारों की उपेक्षा करती है और यह हिंदुओं का दस्तावेज़ है।”

9. निष्कर्ष

नेहरू रिपोर्ट भारतीय संविधान के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर थी। भले ही यह अपने तात्कालिक लक्ष्यों में विफल रही, लेकिन इसने भविष्य के स्वतंत्र भारत के संविधान के लिए एक मजबूत आधार और वैचारिक दिशा प्रदान की। यह रिपोर्ट भारतीय नेताओं की राजनीतिक परिपक्वता और स्वराज की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

10. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1: नेहरू रिपोर्ट किस वर्ष बनाई गई थी?

A: यह रिपोर्ट 1928 में तैयार की गई थी।

Q2: नेहरू रिपोर्ट समिति के अध्यक्ष कौन थे?

A: मोतीलाल नेहरू।

Q3: क्या यह रिपोर्ट भारत को पूर्ण स्वतंत्रता देती थी?

A: नहीं, यह डोमिनियन स्टेटस (Dominion Status) की मांग करती थी, पूर्ण स्वतंत्रता की नहीं।

Q4: नेहरू रिपोर्ट में धार्मिक स्वतंत्रता का प्रावधान था?

A: हाँ, इसमें धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक स्वतंत्रता को प्रमुखता दी गई थी।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ