1. परिचय: भारत के एकीकरण में एक महत्वपूर्ण कदम
भारतीय संविधान का 14वां संशोधन अधिनियम, 1962 (14th Constitutional Amendment Act, 1962), भारत के भौगोलिक और राजनीतिक एकीकरण के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह संशोधन मुख्य रूप से दो प्रमुख उद्देश्यों के लिए लाया गया था: पहला, पुडुचेरी (Puducherry) (जिसमें कराईकल, माहे और यनम शामिल थे) की पूर्व फ्रांसीसी बस्तियों को आधिकारिक तौर पर भारत का अभिन्न अंग बनाना, और दूसरा, कुछ अन्य केंद्र शासित प्रदेशों में लोकतंत्र की नींव रखना।
विषय सूची
- 1. परिचय: भारत के एकीकरण में एक महत्वपूर्ण कदम
- 2. पृष्ठभूमि: फ्रांसीसी बस्तियों का विलय
- 3. प्रस्ताव और पारित होने की प्रक्रिया
- 4. संशोधन के प्रमुख प्रावधान
- 5. नया अनुच्छेद 239A: केंद्र शासित प्रदेशों में लोकतंत्र
- 6. उद्देश्य और लक्ष्य
- 7. प्रभाव और परिणाम
- 8. सारांश तालिका
- 9. निष्कर्ष
- 10. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
इस संशोधन ने संविधान में एक नया अनुच्छेद 239A जोड़ा, जिसने भविष्य में हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा और गोवा जैसे क्षेत्रों के पूर्ण राज्य बनने की नींव रखी।
2. पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक संदर्भ: फ्रांसीसी बस्तियों का विलय
1947 में भारत की आजादी के बाद भी, पुडुचेरी (पॉन्डिचेरी), कराईकल, माहे और यनम फ्रांसीसी शासन के अधीन थे। एक लंबे स्वतंत्रता आंदोलन और भारत सरकार के साथ बातचीत के बाद, इन क्षेत्रों का प्रशासन 1 नवंबर 1954 को *de facto* (वास्तविक) रूप से भारत को सौंप दिया गया था।
हालांकि, *de jure* (कानूनी) विलय की प्रक्रिया में कई साल लग गए। 1956 में भारत और फ्रांस के बीच 'विलय की संधि' (Treaty of Cession) पर हस्ताक्षर किए गए। इस संधि को फ्रांसीसी संसद द्वारा अगस्त 1962 में अनुमोदित (ratified) किया गया।
इस कानूनी विलय को भारतीय संविधान में शामिल करने और इन नए अधिग्रहीत क्षेत्रों को एक स्पष्ट संवैधानिक दर्जा देने के लिए 14वें संशोधन की आवश्यकता पड़ी।
3. प्रस्ताव और पारित होने की प्रक्रिया
फ्रांस द्वारा संधि के अनुमोदन के तुरंत बाद, भारत की संसद ने इन क्षेत्रों को औपचारिक रूप से एकीकृत करने के लिए तेजी से कार्रवाई की।
- विधेयक का नाम: संविधान (चौदहवां संशोधन) विधेयक, 1962
- लोकसभा द्वारा पारित: 4 सितंबर 1962
- राज्यसभा द्वारा पारित: 7 सितंबर 1962
- राष्ट्रपति की स्वीकृति: 28 दिसंबर 1962 (राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा)
- लागू होने की तिथि: 28 दिसंबर 1962
4. संशोधन के प्रमुख प्रावधान
14वें संशोधन ने संविधान में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए:
- पुडुचेरी का एकीकरण: संविधान की पहली अनुसूची (First Schedule) में संशोधन किया गया और "पॉन्डिचेरी" (जिसमें पुडुचेरी, कराईकल, माहे और यनम शामिल थे) को भारत के 9वें केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जोड़ा गया।
- नया अनुच्छेद 239A: संविधान में एक नया अनुच्छेद 239A जोड़ा गया, जो इस संशोधन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा था।
- संसदीय प्रतिनिधित्व (राज्यसभा): चौथी अनुसूची (Fourth Schedule) में संशोधन करके पुडुचेरी के लिए राज्यसभा में एक सीट का प्रावधान किया गया।
- संसदीय प्रतिनिधित्व (लोकसभा): अनुच्छेद 81 में संशोधन करके केंद्र शासित प्रदेशों के लिए लोकसभा में अधिकतम सीटों की संख्या 20 से बढ़ाकर 25 कर दी गई, ताकि पुडुचेरी जैसे नए क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व दिया जा सके।
5. नया अनुच्छेद 239A: केंद्र शासित प्रदेशों में लोकतंत्र
यह 14वें संशोधन का सबसे दूरदर्शी प्रावधान था। इसने न केवल पुडुचेरी, बल्कि अन्य केंद्र शासित प्रदेशों में भी लोकतांत्रिक स्व-शासन की नींव रखी।
अनुच्छेद 239A का महत्व
इस नए अनुच्छेद ने संसद को यह शक्ति दी कि वह कानून बनाकर निम्नलिखित केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक विधानमंडल (Legislature) या मंत्रिपरिषद (Council of Ministers), या दोनों का गठन कर सकती है:
- हिमाचल प्रदेश
- मणिपुर
- त्रिपुरा
- गोवा, दमन और दीव
- पॉन्डिचेरी (पुडुचेरी)
6. उद्देश्य और लक्ष्य
इस संशोधन के पीछे सरकार के दो मुख्य उद्देश्य थे:
- भौगोलिक एकीकरण: भारत-फ्रांस संधि को संवैधानिक रूप देना और पुडुचेरी को कानूनी रूप से भारत का अभिन्न अंग बनाना।
- लोकतांत्रिक विस्तार: पुडुचेरी के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा और गोवा जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण केंद्र शासित प्रदेशों की जनता को स्व-शासन (लोकतांत्रिक विधानसभा) का अधिकार देना।
7. प्रभाव और परिणाम
14वें संशोधन का तत्काल और दीर्घकालिक, दोनों तरह का प्रभाव पड़ा:
- तत्काल प्रभाव: इस संशोधन ने संसद को "केंद्र शासित प्रदेश (शासन) अधिनियम, 1963" (Government of Union Territories Act, 1963) पारित करने में सक्षम बनाया। इस अधिनियम ने अनुच्छेद 239A में सूचीबद्ध प्रदेशों (पुडुचेरी सहित) में विधानसभाओं और मंत्रिमंडलों की स्थापना की।
- दीर्घकालिक परिणाम: यह संशोधन एक 'संवैधानिक सीढ़ी' साबित हुआ। हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा और गोवा, जिन्हें पहले 239A के तहत विधानसभा मिली, अंततः इसी लोकतांत्रिक अनुभव के आधार पर पूर्ण राज्य (Full State) बन गए।
8. सारांश तालिका
| शीर्षक | विवरण |
|---|---|
| संशोधन संख्या | 14वां संविधान संशोधन अधिनियम |
| वर्ष | 1962 |
| लागू होने की तिथि | 28 दिसंबर 1962 |
| प्रधानमंत्री | पंडित जवाहरलाल नेहरू |
| राष्ट्रपति | डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन |
| मुख्य उद्देश्य | पुडुचेरी का भारत में विलय और कुछ UTs में विधानमंडल का प्रावधान करना। |
| प्रमुख बदलाव |
|
9. निष्कर्ष
संविधान का 14वां संशोधन अधिनियम, 1962 महज़ एक तकनीकी बदलाव नहीं था। यह भारत की संप्रभुता का प्रतीक, राष्ट्रीय एकीकरण की विजय और लोकतंत्र के विस्तार का एक प्रमाण है। इसने न केवल भारत के नक्शे को पूर्णता दी, बल्कि उन क्षेत्रों के लोगों को भी लोकतांत्रिक अधिकार दिए जो या तो विदेशी शासन के अधीन थे या सीधे केंद्र द्वारा प्रशासित थे।
10. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: 14वां संविधान संशोधन कब लागू हुआ?
उत्तर: 14वां संविधान संशोधन अधिनियम 1962 में पारित किया गया और 28 दिसंबर 1962 को लागू हुआ।
प्रश्न 2: इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर: इसका मुख्य उद्देश्य पूर्व फ्रांसीसी बस्तियों (पुडुचेरी, आदि) को भारत में मिलाना और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों में (अनुच्छेद 239A के तहत) विधानसभा बनाने का अधिकार संसद को देना था।
प्रश्न 3: अनुच्छेद 239A क्या है?
उत्तर: अनुच्छेद 239A संसद को यह शक्ति देता है कि वह कानून द्वारा पुडुचेरी, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा और गोवा जैसे (उस समय के) केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक स्थानीय विधानमंडल या मंत्रिपरिषद का गठन कर सकती है।
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