12वां संशोधन (1962): गोवा, दमन-दीव | 12th Amendment

📑 1. परिचय (Introduction)

भारतीय संविधान का 12वां संशोधन अधिनियम, 1962 (12th Constitutional Amendment Act, 1962) भारत के राजनीतिक एकीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक और निर्णायक कदम था। यह संशोधन महज़ एक कानूनी बदलाव नहीं, बल्कि भारत की धरती से उपनिवेशवाद के अंतिम अवशेषों को मिटाने का संवैधानिक प्रतीक था। दिसंबर 1961 में 'ऑपरेशन विजय' के माध्यम से भारतीय सेना द्वारा गोवा, दमन और दीव को लगभग 450 वर्षों के पुर्तगाली शासन से मुक्त कराया गया। इस मुक्ति के तुरंत बाद, इन क्षेत्रों को भारतीय संघ में कानूनी और प्रशासनिक रूप से एकीकृत करने के लिए इस संशोधन को लाना अनिवार्य हो गया था। इस अधिनियम ने गोवा, दमन और दीव को भारत के आठवें केंद्र शासित प्रदेश के रूप में स्थापित किया, जिसने भारत की संप्रभुता को पूर्णता प्रदान की। यह भारतीय संविधान संशोधनों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है।

                                                            

भारतीय संविधान का 12वां संशोधन: पूरी व्याख्या


🌍 2. पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक संदर्भ (Historical Background & Context)

12वें संशोधन की जड़ें भारत की स्वतंत्रता से भी गहरी जुड़ी हैं। 1947 में जब भारत ब्रिटिश शासन से आज़ाद हुआ, तब भी फ्रांसीसी (पुडुचेरी, आदि) और पुर्तगाली (गोवा, दमन, दीव) बस्तियाँ भारतीय भूमि पर मौजूद थीं।

  • पुर्तगाल का अड़ियल रुख: जहाँ फ्रांसीसियों ने 1954 तक शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बस्तियाँ भारत को सौंप दीं, वहीं पुर्तगाल ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया। पुर्तगाल के तानाशाह एंटोनियो डी ओलिवेरा सालाज़ार (António de Oliveira Salazar) का तर्क था कि गोवा पुर्तगाल का एक 'उपनिवेश' नहीं, बल्कि 'महानगरीय पुर्तगाल' (Metropolitan Portugal) का एक अभिन्न अंग था।
  • कूटनीतिक प्रयासों की विफलता: 1947 से 1961 तक, भारत सरकार ने, प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में, पुर्तगाल के साथ बातचीत और कूटनीति के माध्यम से इस मुद्दे को हल करने के अनगिनत प्रयास किए। भारत ने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में भी उठाया, लेकिन पुर्तगाल (जो NATO का सदस्य था) पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने के प्रयास विफल रहे।
  • 'ऑपरेशन विजय' (Operation Vijay) - 1961: 14 साल के व्यर्थ इंतजार और पुर्तगाली सेना द्वारा भारतीय जहाजों पर गोलीबारी जैसी भड़काऊ कार्रवाइयों के बाद, भारत सरकार ने सैन्य कार्रवाई का फैसला किया। 18-19 दिसंबर 1961 को, भारतीय सशस्त्र बलों ने "ऑपरेशन विजय" नामक एक संक्षिप्त सैन्य अभियान चलाया। 36 घंटे से भी कम समय में, पुर्तगाली गवर्नर जनरल मैनुअल सिल्वा (Manuel António Vassalo e Silva) ने आत्मसमर्पण के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर दिए।
  • संवैधानिक आवश्यकता: 19 दिसंबर 1961 को गोवा, दमन और दीव आज़ाद हो गए। तत्काल प्रभाव से, इन क्षेत्रों को सैन्य प्रशासन (Military Administration) के अधीन रखा गया, जिसके प्रमुख मेजर जनरल के.पी. कैंडेथ (K.P. Candeth) थे। हालाँकि, भारत के किसी भी क्षेत्र पर अनिश्चित काल तक सैन्य शासन नहीं चलाया जा सकता। इसे एक नागरिक और संवैधानिक ढाँचा देना अनिवार्य था। इसी अनिवार्यता को पूरा करने के लिए 12वें संशोधन का विधेयक तैयार किया गया।

🏛️ 3. प्रस्ताव और पारित होने की प्रक्रिया (Proposal & Passage Process)

'ऑपरेशन विजय' की सफलता के तुरंत बाद, सरकार ने इन नए मुक्त क्षेत्रों को संविधान में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की।

  • विधेयक का प्रस्तुतीकरण: 'संविधान (बारहवां संशोधन) विधेयक, 1962' को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा संसद में पेश किया गया।
  • लोकसभा: यह विधेयक 14 मार्च 1962 को लोकसभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया।
  • राज्यसभा: इसके बाद 20 मार्च 1962 को इसे राज्यसभा की मंजूरी मिली।
  • राष्ट्रपति की स्वीकृति: इस विधेयक को 27 मार्च 1962 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की स्वीकृति प्राप्त हुई और यह 'संविधान (बारहवां संशोधन) अधिनियम, 1962' के रूप में लागू हुआ।

एक महत्वपूर्ण पहलू: इस संशोधन को पूर्वव्यापी प्रभाव (Retrospective Effect) से लागू किया गया। इसे 20 दिसंबर 1961 (यानी, मुक्ति के ठीक अगले दिन) से लागू माना गया, ताकि सैन्य प्रशासन द्वारा उस तारीख से लिए गए सभी निर्णयों और कार्यों को कानूनी और संवैधानिक वैधता मिल सके।


📜 4. संशोधन के प्रमुख प्रावधान (Key Provisions of the Amendment)

12वां संविधान संशोधन बहुत संक्षिप्त और सटीक था। इसका उद्देश्य केवल दो संवैधानिक बदलाव करना था:

1. पहली अनुसूची में संशोधन (Amendment to the First Schedule)

भारतीय संविधान की पहली अनुसूची भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सूची रखती है।

  • बदलाव: इस संशोधन ने पहली अनुसूची के "The Union Territories" (संघ राज्यक्षेत्र) नामक भाग में एक नई प्रविष्टि (Entry) जोड़ी।
  • नई प्रविष्टि (संख्या 8):
    • नाम: "Goa, Daman and Diu" (गोवा, दमन और दीव)।
    • विवरण: "The territories which immediately before the twentieth day of December, 1961 were comprised in Goa, Daman and Diu." (वे क्षेत्र जो 20 दिसंबर 1961 से ठीक पहले गोवा, दमन और दीव में समाहित थे।)

2. अनुच्छेद 240 में संशोधन (Amendment to Article 240)

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 240 राष्ट्रपति को कुछ विशिष्ट केंद्र शासित प्रदेशों के लिए "शांति, प्रगति और सुशासन" (Peace, Progress, and Good Government) के लिए नियम (Regulations) बनाने की शक्ति देता है।

  • बदलाव: इस संशोधन ने अनुच्छेद 240(1) में "(d) Goa, Daman and Diu" को जोड़ा।
  • परिणाम: इस बदलाव ने भारत के राष्ट्रपति को गोवा, दमन और दीव के प्रशासन के लिए कानून बनाने का सीधा अधिकार दे दिया, जब तक कि संसद इन क्षेत्रों के लिए एक विधानमंडल का गठन नहीं कर देती।

🎯 5. उद्देश्य और लक्ष्य (Objectives and Legislative Intent)

इस संशोधन को लाने के पीछे सरकार के उद्देश्य स्पष्ट और रणनीतिक थे:

  • संवैधानिक एकीकरण: सबसे प्रमुख उद्देश्य पुर्तगाल से मुक्त कराए गए क्षेत्रों को औपचारिक रूप से भारतीय संघ का हिस्सा बनाना था।
  • प्रशासनिक स्थिरता: सैन्य शासन को समाप्त करके एक स्थिर और वैध नागरिक प्रशासन की स्थापना करना। राष्ट्रपति को अनुच्छेद 240 के तहत शक्ति देकर यह सुनिश्चित किया गया कि क्षेत्र में कोई कानूनी या प्रशासनिक शून्य (Vacuum) न बने।
  • संप्रभुता की पुष्टि: यह संशोधन भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की घोषणा थी, जिसका अर्थ था कि भारत अपनी भूमि पर किसी भी विदेशी कब्जे को बर्दाश्त नहीं करेगा।
  • लोकतांत्रिक भविष्य की नींव: इसे एक केंद्र शासित प्रदेश बनाकर, सरकार ने भविष्य में इस क्षेत्र को लोकतांत्रिक प्रक्रिया (जैसे कि विधान सभा चुनाव) में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त किया।

📈 6. प्रभाव और परिणाम (Impact and Outcomes)

12वें संशोधन के भारत की राजनीति और भूगोल पर दूरगामी प्रभाव पड़े:

  • तत्काल प्रभाव: गोवा, दमन और दीव भारत के 8वें केंद्र शासित प्रदेश बन गए। सैन्य शासन समाप्त हुआ और राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) के अधीन नागरिक प्रशासन शुरू हुआ।
  • राजनीतिक परिणाम: राष्ट्रीय स्तर पर, यह पंडित नेहरू की सरकार के लिए एक बड़ी जीत थी। इसने नेहरू की उस आलोचना को शांत कर दिया, जो उनकी 'गुटनिरपेक्ष' नीति को पुर्तगाल के खिलाफ कमजोरी के रूप में देखते थे।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया: पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका, ब्रिटेन और पुर्तगाल (जो NATO सहयोगी थे) ने भारत की सैन्य कार्रवाई की कड़ी आलोचना की। इसे 'आक्रामकता' कहा गया। हालाँकि, सोवियत संघ (USSR) और कई अफ्रीकी-एशियाई देशों ने भारत के इस कदम का पुरजोर समर्थन किया।
  • दीर्घकालिक परिणाम: यह UT का दर्जा एक अस्थायी व्यवस्था थी।
    • 1962 में ही 14वां संशोधन: इसी वर्ष, भारत ने 14वां संविधान संशोधन पारित किया, जिसने गोवा, दमन और दीव (और पुडुचेरी) के लिए एक विधानमंडल का प्रावधान किया।
    • राज्य का दर्जा: गोवा के लोगों की आकांक्षाओं को देखते हुए, 30 मई 1987 को, गोवा को एक पूर्ण राज्य (State) का दर्जा दिया गया (यह भारत का 25वां राज्य बना), जबकि दमन और दीव एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बने रहे। (2020 में दमन और दीव का दादरा और नगर हवेली के साथ विलय कर दिया गया)।

⚖️ 7. न्यायिक व्याख्या, समीक्षा और आलोचना (Judicial Review, Interpretation & Criticism)

इस संशोधन की कोई महत्वपूर्ण न्यायिक समीक्षा या घरेलू आलोचना नहीं हुई, क्योंकि यह भारत के एकीकरण से जुड़ा एक सर्व-समर्थित कदम था।

  • कोई न्यायिक चुनौती नहीं: भारत के सर्वोच्च न्यायालय में इस संशोधन की वैधता को कभी भी गंभीरता से चुनौती नहीं दी गई। यह संविधान के 9वें संशोधन (बेरुबारी संघ) जैसा नहीं था, जिसमें भारतीय क्षेत्र को किसी अन्य देश को सौंपना शामिल था और जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट की राय की आवश्यकता पड़ी। 12वां संशोधन भारत द्वारा अपने क्षेत्र को पुनः प्राप्त करने का मामला था।
  • अंतर्राष्ट्रीय आलोचना: जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, मुख्य आलोचना अंतर्राष्ट्रीय मंच पर हुई। पश्चिमी शक्तियों ने भारत पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन करने और शांतिपूर्ण समाधान के बजाय बल प्रयोग करने का आरोप लगाया।
  • घरेलू समर्थन: भारत के भीतर, वामपंथियों से लेकर दक्षिणपंथियों तक, सभी राजनीतिक दलों ने इस कदम का स्वागत किया। वास्तव में, सरकार की आलोचना इस बात के लिए हो रही थी कि उसने यह कदम उठाने में 14 साल क्यों लगा दिए।

✨ 8. ऐतिहासिक महत्व (Historical Significance)

12वें संविधान संशोधन का महत्व उसकी संक्षिप्तता से कहीं अधिक है:

  • भारत में उपनिवेशवाद का अंत: यह संशोधन भारतीय उपमहाद्वीप पर 500 से अधिक वर्षों के यूरोपीय उपनिवेशवाद के अंतिम अध्याय के समापन का प्रतीक है। पुर्तगाली सबसे पहले (1510) आने वालों में थे और सबसे अंत (1961) में जाने वाले बने।
  • भारत के एकीकरण की पूर्णता: सरदार पटेल ने रियासतों का एकीकरण किया था, लेकिन भारत का राजनीतिक नक्शा गोवा, दमन, दीव और पुडुचेरी के बिना अधूरा था। 12वें (और बाद में 14वें) संशोधन ने इस एकीकरण को संवैधानिक रूप से पूरा किया।
  • संप्रभु इच्छाशक्ति का प्रदर्शन: इस संशोधन ने यह स्थापित किया कि भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए कड़े सैन्य और संवैधानिक निर्णय लेने में सक्षम है।

📊 9. सारांश तालिका (Quick Summary Table)

शीर्षक विवरण
संशोधन संख्या 12वां संविधान संशोधन अधिनियम
वर्ष 1962
अधिनियम संख्या (Act No.) 1962 का अधिनियम संख्या 7
लागू होने की तिथि 27 मार्च 1962 (20 दिसंबर 1961 से पूर्वव्यापी प्रभाव)
प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू
राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद (जिन्होंने स्वीकृति दी)
मुख्य उद्देश्य 'ऑपरेशन विजय' के बाद गोवा, दमन और दीव को भारत में विलय कर केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देना।
प्रमुख बदलाव 1. पहली अनुसूची में संशोधन (UT के रूप में जोड़ा गया)।
2. अनुच्छेद 240 में संशोधन (राष्ट्रपति को नियम बनाने की शक्ति दी गई)।

✍️ 10. निष्कर्ष (Conclusion)

भारतीय संविधान का 12वां संशोधन महज़ कुछ पंक्तियों का कानूनी बदलाव नहीं था; यह भारत की स्वतंत्रता की अधूरी कहानी का समापन था। इसने 'ऑपरेशन विजय' की सैन्य सफलता को संवैधानिक वैधता प्रदान की और गोवा, दमन और दीव के लोगों को 450 वर्षों की गुलामी के बाद भारतीय संघ में उनका सही स्थान दिलाया। यह संशोधन भारत की संप्रभु इच्छाशक्ति, राजनीतिक एकीकरण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता और एक राष्ट्र के रूप में उसके विकास का एक स्पष्ट प्रमाण है, जिसने उपनिवेशवाद के अंतिम अवशेषों को भी मिटा दिया।


🤔 11. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. प्रश्न 1: 12वां संविधान संशोधन कब पारित हुआ था?
    उत्तर: 12वां संविधान संशोधन 27 मार्च 1962 को पारित हुआ था, लेकिन इसे 20 दिसंबर 1961 से पूर्वव्यापी (retrospective) रूप से लागू किया गया था।

  2. प्रश्न 2: 12वें संशोधन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
    उत्तर: इसका मुख्य उद्देश्य पुर्तगाली शासन से मुक्त कराए गए गोवा, दमन और दीव को औपचारिक रूप से भारत में विलय करना और उन्हें एक केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देना था।

  3. प्रश्न 3: इस संशोधन द्वारा किन अनुच्छेदों में परिवर्तन हुआ?
    उत्तर: इस संशोधन ने मुख्य रूप से दो बदलाव किए: 1) संविधान की पहली अनुसूची में गोवा, दमन और दीव को 8वें केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जोड़ा गया, और 2) अनुच्छेद 240 में संशोधन कर राष्ट्रपति को इस नए UT के लिए नियम बनाने की शक्ति दी गई।

  4. प्रश्न 4: 12वें संशोधन के समय भारत के प्रधानमंत्री कौन थे?
    उत्तर: 1962 में 12वें संशोधन के समय भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे।

  5. प्रश्न 5: गोवा को भारत में मिलाने के लिए कौन सा सैन्य अभियान चलाया गया था?
    उत्तर: गोवा, दमन और दीव को पुर्तगाली शासन से मुक्त कराने के लिए दिसंबर 1961 में "ऑपरेशन विजय" (Operation Vijay) नामक सैन्य अभियान चलाया गया था।


 

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