1. परिचय: भारत के एकीकरण में एक महत्वपूर्ण कदम
भारतीय संविधान का 10वां संशोधन अधिनियम, 1961 (10th Constitutional Amendment Act, 1961), भारत के भौगोलिक एकीकरण के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह संशोधन मुख्य रूप से पुर्तगाली शासन से मुक्त हुए क्षेत्र दादरा और नगर हवेली (Dadra and Nagar Haveli) के संबंध में था। इस संशोधन ने इन क्षेत्रों को भारत संघ में एक 'केंद्र शासित प्रदेश' (Union Territory) के रूप में आधिकारिक तौर पर शामिल किया।
विषय सूची
- 1. परिचय: भारत के एकीकरण में एक महत्वपूर्ण कदम
- 2. पृष्ठभूमि: दादरा-नगर हवेली की मुक्ति
- 3. प्रस्ताव और पारित होने की प्रक्रिया
- 4. संशोधन के प्रमुख प्रावधान
- 5. उद्देश्य और लक्ष्य: एकीकरण को पूर्ण करना
- 6. प्रभाव और परिणाम
- 7. न्यायिक व्याख्या और आलोचना
- 8. ऐतिहासिक महत्व: एकीकरण की दिशा में पहला कदम
- 9. सारांश तालिका
- 10. निष्कर्ष
- 11. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
यह संशोधन भारत-पुर्तगाल संघर्ष के संदर्भ में महत्वपूर्ण था और इसने संविधान की पहली अनुसूची और अनुच्छेद 240 में साधारण लेकिन महत्वपूर्ण बदलाव किए।
2. पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक संदर्भ: दादरा-नगर हवेली की मुक्ति
10वें संशोधन को समझने के लिए, हमें 1950 के दशक की स्थिति को जानना होगा। 1947 में भारत की आजादी के बाद भी, दादरा और नगर हवेली पुर्तगाली शासन के अधीन थे।
इस संधि का अर्थ था:
- पुर्तगाली शासन से मुक्ति: जुलाई 1954 में, स्थानीय स्वयंसेवकों और समर्थकों (जैसे आज़ाद गोमांतक दल) ने इस क्षेत्र को पुर्तगाली शासन से मुक्त करा लिया।
- स्व-शासित इकाई: 1954 से 1961 तक, यह क्षेत्र de facto (वास्तविक) रूप से स्वतंत्र रहा और "वरिष्ठ पंचायत" (Varishta Panchayat) नामक एक स्थानीय निकाय द्वारा स्व-शासित इकाई के रूप में काम करता रहा।
1961 में, वहां की 'वरिष्ठ पंचायत' ने औपचारिक रूप से भारतीय संघ में विलय का अनुरोध किया। इसी अनुरोध को संवैधानिक रूप देने के लिए 10वें संशोधन की आवश्यकता पड़ी।
3. प्रस्ताव और पारित होने की प्रक्रिया
दादरा और नगर हवेली की वरिष्ठ पंचायत के अनुरोध पर, भारत की जवाहरलाल नेहरू सरकार ने संविधान में संशोधन के लिए विधेयक पेश किया।
- विधेयक का नाम: संविधान (दसवां संशोधन) विधेयक, 1961
- लोकसभा द्वारा पारित: 14 अगस्त 1961
- राज्यसभा द्वारा पारित: 16 अगस्त 1961
- राष्ट्रपति की स्वीकृति: 16 अगस्त 1961 (राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा)
- लागू होने की तिथि: 11 अगस्त 1961 (पूर्वव्यापी प्रभाव से)
4. संशोधन के प्रमुख प्रावधान
10वें संशोधन ने भारतीय संविधान में केवल दो, लेकिन बेहद महत्वपूर्ण, बदलाव किए:
- पहली अनुसूची में संशोधन: संविधान की पहली अनुसूची (जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सूची है) को संशोधित किया गया। इसमें "दादरा और नगर हवेली" को 7वें केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जोड़ा गया।
- अनुच्छेद 240(1) में संशोधन: संविधान के अनुच्छेद 240(1) (जो राष्ट्रपति को UTs के लिए नियम बनाने की शक्ति देता है) को संशोधित किया गया। इसमें दादरा और नगर हवेली का नाम जोड़ा गया, ताकि राष्ट्रपति इस नए क्षेत्र की "शांति, प्रगति और सुशासन" के लिए नियम बना सकें।
5. उद्देश्य और लक्ष्य: एकीकरण को पूर्ण करना
इस संशोधन के पीछे भारत सरकार के स्पष्ट उद्देश्य थे:
- लोकतांत्रिक इच्छा का सम्मान: दादरा और नगर हवेली की वरिष्ठ पंचायत (जो वहां की जनता का प्रतिनिधित्व करती थी) के विलय के अनुरोध को पूरा करना।
- संवैधानिक दर्जा देना: 1954 से *de facto* स्वतंत्र चल रहे क्षेत्र को एक स्पष्ट कानूनी और संवैधानिक दर्जा प्रदान करना।
- प्रशासनिक एकीकरण: क्षेत्र के प्रशासन को भारत सरकार के अधीन लाना ताकि वहां के विकास और सुशासन को सुनिश्चित किया जा सके।
6. प्रभाव और परिणाम
इस संशोधन के लागू होते ही, दादरा और नगर हवेली कानूनी तौर पर भारत का हिस्सा बन गए और वहां के निवासियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त हुई। इसने गोवा, दमन और दीव की मुक्ति के लिए भविष्य की कार्रवाइयों (जो दिसंबर 1961 में हुई) के लिए एक संवैधानिक मिसाल कायम की।
7. न्यायिक व्याख्या और आलोचना
10वें संशोधन को लेकर कोई बड़ा न्यायिक विवाद या आलोचना नहीं हुई। यह एक सीधी और सर्वसम्मत प्रशासनिक कार्रवाई थी, जिसे क्षेत्र के लोगों का समर्थन प्राप्त था। इसे भारत के एकीकरण की एक स्वाभाविक प्रक्रिया के रूप में देखा गया और इसने संविधान की मूल संरचना के किसी भी सिद्धांत को चुनौती नहीं दी।
8. ऐतिहासिक महत्व: एकीकरण की दिशा में पहला कदम
10वें संशोधन का ऐतिहासिक महत्व यह है कि यह पुर्तगाली उपनिवेशवाद से मुक्त हुए किसी क्षेत्र का भारतीय संघ में पहला कानूनी विलय था। यह गोवा, दमन और दीव (जिन्हें बाद में 12वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया) के पूर्ण एकीकरण की दिशा में पहला कदम था। यह भारत की अपनी क्षेत्रीय अखंडता को पूरा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
9. सारांश तालिका
| शीर्षक | विवरण |
|---|---|
| संशोधन संख्या | 10वां संविधान संशोधन अधिनियम |
| वर्ष | 1961 |
| लागू होने की तिथि | 11 अगस्त 1961 (पूर्वव्यापी प्रभाव से) |
| प्रधानमंत्री | पंडित जवाहरलाल नेहरू |
| राष्ट्रपति | डॉ. राजेन्द्र प्रसाद |
| मुख्य उद्देश्य | दादरा और नगर हवेली को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में भारत में मिलाना। |
| प्रमुख बदलाव |
|
10. निष्कर्ष
भारतीय संविधान का 10वां संशोधन एक संक्षिप्त लेकिन महत्वपूर्ण संवैधानिक कार्रवाई थी। इसने न केवल भारत की सीमाओं का विस्तार किया, बल्कि 1954 से अनिश्चितता में जी रहे एक क्षेत्र के लोगों को भारतीय संघ में उनका सही स्थान भी दिलाया। यह संशोधन भारत के एकीकरण की प्रक्रिया और संविधान के लचीलेपन का एक स्पष्ट उदाहरण है, जिसने एक नव-मुक्त क्षेत्र को शांतिपूर्वक मुख्यधारा में शामिल कर लिया।
11. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: 10वां संविधान संशोधन कब लागू हुआ?
उत्तर: 10वां संविधान संशोधन 16 अगस्त 1961 को पारित हुआ, लेकिन इसे 11 अगस्त 1961 से पूर्वव्यापी (retrospectively) लागू किया गया।
प्रश्न 2: 10वें संशोधन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर: इसका मुख्य उद्देश्य पुर्तगाली शासन से मुक्त हुए क्षेत्र 'दादरा और नगर हवेली' को भारत में एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में शामिल करना था।
प्रश्न 3: दादरा और नगर हवेली पुर्तगाल से कब मुक्त हुए?
उत्तर: यह क्षेत्र 1954 में स्थानीय स्वयंसेवकों द्वारा मुक्त कराया गया था, न कि भारतीय सेना द्वारा। यह 1954 से 1961 तक एक स्व-शासित क्षेत्र बना रहा।
प्रश्न 4: 10वें संशोधन द्वारा किन अनुच्छेदों में परिवर्तन हुआ?
उत्तर: इस संशोधन ने मुख्य रूप से संविधान की पहली अनुसूची (UTs की सूची) और अनुच्छेद 240 (UTs के लिए राष्ट्रपति के नियम बनाने की शक्ति) में संशोधन किया।
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