भारतीय संविधान की 12 अनुसूचियाँ | 12 Schedules Explained

 

प्रस्तावना (Introduction)

जब 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ, तब उसमें मूल रूप से 8 अनुसूचियाँ (Schedules) और 395 अनुच्छेद थे। हालाँकि, समय और आवश्यकता के अनुसार, संविधान में कई महत्वपूर्ण संविधान संशोधन किए गए, जिनके माध्यम से 4 नई अनुसूचियाँ जोड़ी गईं। आज, भारतीय संविधान में कुल 12 अनुसूचियाँ हैं।

ये अनुसूचियाँ संविधान का एक अनिवार्य हिस्सा हैं, जो जटिल कानूनों, प्रशासनिक विवरणों और सूचियों को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करती हैं। इस लेख में, हम भारतीय संविधान की सभी 12 अनुसूचियों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे, उनके महत्व को समझेंगे और यह जानेंगे कि वे भारतीय शासन व्यवस्था को कैसे प्रभावित करती हैं।



संविधान में अनुसूचियाँ क्या होती हैं? (What are Schedules in Constitution?)

अनुसूचियाँ (Schedules) को आप संविधान की "परिशिष्ट" (Appendices) या सारणी समझ सकते हैं। संविधान के मुख्य अनुच्छेदों (Articles) में जहाँ किसी विषय का संक्षिप्त उल्लेख होता है, वहीं उस विषय से संबंधित विस्तृत जानकारी, सूचियाँ और प्रशासनिक विवरण को अनुसूचियों में रखा जाता है।

ऐसा करने का मुख्य कारण संविधान के मुख्य भाग को सुव्यवस्थित और पढ़ने में आसान बनाए रखना था। यदि यह सारी विस्तृत जानकारी अनुच्छेदों में ही डाल दी जाती, तो संविधान बहुत जटिल और लंबा हो जाता।

उदाहरण के लिए: अनुच्छेद 1 केवल यह कहता है कि भारत राज्यों का संघ होगा, लेकिन उन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के *नाम* क्या हैं, उनकी *सूची* अनुसूची 1 में दी गई है।


भारतीय संविधान की 12 अनुसूचियाँ – विस्तृत जानकारी

आइए, संविधान की सभी 12 अनुसूचियों को एक-एक करके विस्तार से समझते हैं।

अनुसूची 1 – राज्य और केंद्रशासित प्रदेश

  • विषय: यह अनुसूची भारत के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (Union Territories) के नामों की सूची और उनके क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र का वर्णन करती है।
  • संवैधानिक लिंक: यह अनुसूची संविधान के अनुच्छेद 1 और 4 से संबंधित है।
  • महत्व: जब भी कोई नया राज्य बनता है (जैसे तेलंगाना), किसी राज्य का नाम बदला जाता है, या दो राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों का विलय होता है (जैसे दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव), तो इस अनुसूची में संशोधन किया जाता है।
  • वर्तमान स्थिति: वर्तमान में, इस सूची में 28 राज्य और 8 केंद्रशासित प्रदेश शामिल हैं।

अनुसूची 2 – वेतन, भत्ते और विशेषाधिकार

  • विषय: इसमें भारत के प्रमुख संवैधानिक पदों पर आसीन अधिकारियों के वेतन, भत्तों और विशेषाधिकारों का उल्लेख है।
  • शामिल पद:
    • भारत के राष्ट्रपति
    • राज्यों के राज्यपाल
    • लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
    • राज्यसभा के सभापति और उपसभापति
    • राज्य विधानसभाओं के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
    • राज्य विधान परिषदों के सभापति और उपसभापति
    • सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के न्यायाधीश
    • उच्च न्यायालयों (High Court) के न्यायाधीश
    • भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
  • महत्व: इन पदों के वेतन और भत्तों को अनुसूची में रखने का एक बड़ा कारण यह है कि इन पर संसद में "मतदान" नहीं हो सकता (ये भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं)। यह न्यायपालिका और अन्य संवैधानिक निकायों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है।

अनुसूची 3 – शपथ और प्रतिज्ञान (Oaths and Affirmations)

  • विषय: इसमें विभिन्न संवैधानिक पदों के उम्मीदवारों द्वारा ली जाने वाली शपथ (Osth) या प्रतिज्ञान (Affirmation) के प्रारूप दिए गए हैं।
  • शामिल पद:
    • केंद्रीय मंत्री
    • संसद के सदस्य (सांसद)
    • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश
    • CAG
    • राज्य मंत्री
    • राज्य विधानमंडल के सदस्य (विधायक)
    • उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश
  • ध्यान दें: राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपाल की शपथ का प्रारूप इस अनुसूची में नहीं है, बल्कि उनके लिए क्रमशः अनुच्छेद 60, 69 और 159 में अलग से प्रावधान है।

अनुसूची 4 – राज्यसभा में सीटों का आवंटन

  • विषय: यह अनुसूची भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को राज्यसभा (Council of States) में आवंटित की जाने वाली सीटों की संख्या निर्धारित करती है।
  • आधार: यह आवंटन मुख्य रूप से राज्य की जनसंख्या के आधार पर किया जाता है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश (31 सीटें) जैसे बड़े राज्य को अधिक सीटें और गोवा (1 सीट) जैसे छोटे राज्य को कम सीटें मिली हैं।
  • संवैधानिक लिंक: यह अनुच्छेद 4(1) और 80(2) से संबंधित है।

अनुसूची 5 – अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातियों का प्रशासन

  • विषय: यह अनुसूची, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम (जो अनुसूची 6 में हैं) को छोड़कर, भारत के अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों (Scheduled Areas) और अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) के प्रशासन और नियंत्रण के लिए विशेष प्रावधान करती है।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य इन क्षेत्रों की विशिष्ट संस्कृति को संरक्षित करना और जनजातीय समुदायों को शोषण से बचाना है।
  • विशेष प्रावधान: इसके तहत जनजाति सलाहकार परिषद (Tribes Advisory Council) की स्थापना का प्रावधान है और राज्यपाल को इन क्षेत्रों में शांति और सुशासन के लिए विशेष शक्तियाँ दी गई हैं।

अनुसूची 6 – (AM-TM) पूर्वोत्तर के 4 राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन

  • विषय: यह 4 पूर्वोत्तर राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के लिए विशेष प्रावधान करती है:
    1. A - असम (Assam)
    2. M - मेघालय (Meghalaya)
    3. T - त्रिपुरा (Tripura)
    4. M - मिजोरम (Mizoram)
  • महत्व (अनुसूची 5 से भिन्न): यह अनुसूची 5 से अधिक स्वायत्तता प्रदान करती है। इसके तहत स्वायत्त जिला परिषदों (Autonomous District Councils - ADCs) की स्थापना की जाती है, जिन्हें अपनी संस्कृति, भूमि, वन और स्थानीय रीति-रिवाजों पर कानून बनाने का अधिकार होता है।

अनुसूची 7 – शक्तियों का बंटवारा (3 सूचियाँ)

  • विषय: यह संविधान का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विधायी शक्तियों का बंटवारा (Distribution of Powers) करता है। यह अनुच्छेद 246 से संबंधित है।
  • इसके तहत तीन सूचियाँ (Lists) हैं:
    1. संघ सूची (Union List): इस पर केवल केंद्र सरकार (संसद) कानून बना सकती है। (मूल रूप से 97, वर्तमान में लगभग 100 विषय)।
      ➡️ उदाहरण: रक्षा, विदेश मामले, बैंकिंग, रेलवे, मुद्रा, जनगणना।
    2. राज्य सूची (State List): इस पर सामान्यतः राज्य सरकारें कानून बनाती हैं। (मूल रूप से 66, वर्तमान में लगभग 61 विषय)।
      ➡️ उदाहरण: पुलिस, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि, जेल, स्थानीय शासन।
    3. समवर्ती सूची (Concurrent List): इस पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। (मूल रूप से 47, वर्तमान में लगभग 52 विषय)।
      ➡️ उदाहरण: शिक्षा, वन, विवाह, तलाक, बिजली, श्रमिक संघ।
  • विवाद की स्थिति में: यदि समवर्ती सूची के किसी विषय पर केंद्र और राज्य के कानून में टकराव होता है, तो केंद्र का कानून मान्य होता है। समवर्ती सूची का यह प्रावधान ऑस्ट्रेलिया के संविधान से प्रेरित है।

अनुसूची 8 – भारत की मान्यता प्राप्त भाषाएँ

  • विषय: यह अनुसूची भारत की आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाओं की सूची है।
  • मूल संविधान: मूल रूप से इसमें 14 भाषाएँ (असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु, उर्दू) थीं।
  • बाद में जोड़ी गई भाषाएँ:
    • 21वां संशोधन (1967) द्वारा: सिंधी (15वीं भाषा)
    • 71वां संशोधन (1992) द्वारा: कोंकणी, मणिपुरी, नेपाली (18 भाषाएँ)
    • 92वां संशोधन (2003) द्वारा: बोडो, डोगरी, मैथिली, संथाली (22 भाषाएँ)
  • वर्तमान स्थिति: आज इस अनुसूची में कुल 22 मान्यता प्राप्त भाषाएँ हैं। (अंग्रेजी इस सूची का हिस्सा नहीं है)।

बाद में जोड़ी गई 4 नई अनुसूचियाँ

जैसा कि बताया गया है, मूल संविधान में 8 अनुसूचियाँ थीं। 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं अनुसूची को बाद में संशोधनों के माध्यम से जोड़ा गया।

अनुसूची 9 – भूमि सुधार और न्यायिक समीक्षा से संरक्षण

  • कब जोड़ी गई: इसे पहले संविधान संशोधन (1951) द्वारा जोड़ा गया।
  • उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य भूमि सुधार (Land Reforms) और ज़मींदारी उन्मूलन कानूनों को मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) के उल्लंघन के आधार पर न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) से बचाना था। उस समय, संपत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 31) एक मौलिक अधिकार था, और भूमि सुधार कानून इसे चुनौती दे रहे थे।
  • वर्तमान स्थिति (न्यायिक समीक्षा):
    • शुरुआत में माना जाता था कि इस अनुसूची में डाले गए किसी भी कानून की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती।
    • लेकिन, 24 अप्रैल 1973 (जिस दिन केशवानंद भारती केस का फैसला आया) के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने I.R. Coelho (2007) मामले में फैसला सुनाया।
    • इस फैसले के अनुसार, यदि 24 अप्रैल 1973 के बाद इस अनुसूची में डाला गया कोई कानून संविधान के "मूल ढांचे" (Basic Structure) (जैसे मौलिक अधिकारों) का उल्लंघन करता है, तो उसकी न्यायिक समीक्षा की जा सकती है।

अनुसूची 10 – दल-बदल विरोधी कानून (Anti-Defection Law)

  • कब जोड़ी गई: इसे 52वें संविधान संशोधन (1985) द्वारा जोड़ा गया।
  • उद्देश्य: यह कानून सांसदों और विधायकों द्वारा एक पार्टी से दूसरी पार्टी में निष्ठा बदलने (दल-बदल) को रोकने के लिए लाया गया था, जिसे "आया राम, गया राम" की राजनीति कहा जाता था।
  • प्रावधान:
    • यदि कोई निर्वाचित सदस्य स्वेच्छा से अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है।
    • यदि वह पार्टी व्हिप (Whip) के खिलाफ जाकर सदन में मतदान करता है (या मतदान से अनुपस्थित रहता है)।
    • इन स्थितियों में उसे सदन की सदस्यता से अयोग्य (Disqualified) ठहराया जा सकता है।
  • निर्णायक प्राधिकारी: दल-बदल पर अयोग्यता का निर्णय सदन का पीठासीन अधिकारी (अध्यक्ष या सभापति) करता है। (हालांकि, उनके निर्णय को अब न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है)।

अनुसूची 11 – पंचायतों के अधिकार और जिम्मेदारियाँ

  • कब जोड़ी गई: इसे 73वें संविधान संशोधन (1992) द्वारा जोड़ा गया।
  • उद्देश्य: इसने संविधान के भाग 9 के तहत पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया।
  • विषय: यह अनुसूची पंचायतों को दिए जाने वाले 29 विषयों (कार्यों) की सूची प्रदान करती है, जिन पर उन्हें कानून बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार है।
  • मुख्य विषय: कृषि, ग्रामीण विकास, गरीबी उन्मूलन, सड़कें, पीने का पानी, ग्रामीण विद्युतीकरण, महिला एवं बाल विकास आदि।

अनुसूची 12 – नगरपालिकाओं के अधिकार और जिम्मेदारियाँ

  • कब जोड़ी गई: इसे 74वें संविधान संशोधन (1992) द्वारा जोड़ा गया।
  • उद्देश्य: इसने संविधान के भाग 9A के तहत शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाओं) को संवैधानिक दर्जा दिया।
  • विषय: यह अनुसूची नगरपालिकाओं को दिए जाने वाले 18 विषयों (कार्यों) की सूची प्रदान करती है।
  • मुख्य विषय: शहरी योजना, सफाई, स्ट्रीट लाइटिंग, जल आपूर्ति, सार्वजनिक स्वास्थ्य, जन्म और मृत्यु का पंजीकरण, बस स्टॉप, आदि।

🧠 भारतीय संविधान की अनुसूचियाँ याद करने की ट्रिक

12 अनुसूचियों को क्रम से याद रखना कई बार मुश्किल हो सकता है। इसके लिए आप इस अंग्रेजी Mnemonic (याद करने की ट्रिक) का उपयोग कर सकते हैं: "TEARS OF OLD PM"

  • T = Territories (क्षेत्र - राज्य और केंद्रशासित प्रदेश) - अनुसूची 1
  • E = Emoluments (वेतन और भत्ते) - अनुसूची 2
  • A = Affirmations (शपथ) - अनुसूची 3
  • R = Rajya Sabha (राज्यसभा सीटें) - अनुसूची 4
  • S = Scheduled Areas (अनुसूचित क्षेत्र) - अनुसूची 5
  • O = Other Tribal Areas (अन्य जनजातीय क्षेत्र - AM-TM) - अनुसूची 6
  • F = Federal List (शक्तियों का बंटवारा - 3 सूचियाँ) - अनुसूची 7
  • O = Official Languages (आधिकारिक भाषाएँ) - अनुसूची 8
  • L = Land Reforms (भूमि सुधार) - अनुसूची 9
  • D = Defection (दल-बदल कानून) - अनुसूची 10
  • P = Panchayats (पंचायत) - अनुसूची 11
  • M = Municipalities (नगर पालिका) - अनुसूची 12

📊 सारांश तालिका (Schedules of Indian Constitution at a Glance)

अनुसूची मुख्य विषय संबंधित संशोधन (यदि लागू हो)
अनुसूची 1 राज्य व केंद्रशासित प्रदेश (मूल)
अनुसूची 2 वेतन व भत्ते (मूल)
अनुसूची 3 शपथ और प्रतिज्ञान (मूल)
अनुसूची 4 राज्यसभा सीटें (मूल)
अनुसूची 5 अनुसूचित क्षेत्र व जनजाति प्रशासन (मूल)
अनुसूची 6 पूर्वोत्तर के 4 राज्यों का जनजाति प्रशासन (मूल)
अनुसूची 7 शक्तियों का बंटवारा (3 सूचियाँ) (मूल)
अनुसूची 8 22 मान्यता प्राप्त भाषाएँ (मूल)
अनुसूची 9 भूमि सुधार (न्यायिक समीक्षा से बचाव) 1ला संशोधन (1951)
अनुसूची 10 दल-बदल विरोधी कानून 52वां संशोधन (1985)
अनुसूची 11 पंचायतों के अधिकार (29 विषय) 73वां संशोधन (1992)
अनुसूची 12 नगरपालिकाओं के अधिकार (18 विषय) 74वां संशोधन (1992)

निष्कर्ष (Conclusion)

भारतीय संविधान की ये 12 अनुसूचियाँ केवल सूचियाँ या परिशिष्ट मात्र नहीं हैं; ये भारतीय संविधान की आत्मा का विस्तार हैं। ये केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के नाजुक संतुलन को बनाए रखती हैं (अनुसूची 7), भारत की भाषाई विविधता का सम्मान करती हैं (अनुसूची 8), और स्थानीय स्वशासन (अनुसूची 11 और 12) को मजबूत करके लोकतंत्र को जमीनी स्तर तक ले जाती हैं।

मूल 8 से 12 तक की इनकी यात्रा भारत के एक विकसित होते राष्ट्र के रूप में चुनौतियों (जैसे दल-बदल और भूमि सुधार) का सामना करने की कहानी भी बयां करती है। एक जागरूक नागरिक के रूप में, इन अनुसूचियों को समझना हमें अपने अधिकारों और देश की शासन प्रणाली को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1: अनुसूची और अनुच्छेद में क्या अंतर है? (Difference between Schedule and Article)
उत्तर: अनुच्छेद (Article) संविधान का मुख्य कानूनी प्रावधान या नियम है, जो किसी विषय की रूपरेखा (जैसे "भारत राज्यों का संघ होगा") बताता है। अनुसूची (Schedule) उस अनुच्छेद से जुड़ी विस्तृत जानकारी, सूची या प्रशासनिक विवरण (जैसे उन राज्यों के नाम) प्रदान करती है, ताकि मुख्य अनुच्छेद संक्षिप्त और स्पष्ट बना रहे।
प्रश्न 2: मूल संविधान में कितनी अनुसूचियाँ थीं?
उत्तर: 26 जनवरी 1950 को लागू हुए मूल भारतीय संविधान में 8 अनुसूचियाँ थीं। 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं अनुसूची को बाद में संविधान संशोधनों द्वारा जोड़ा गया।
प्रश्न 3: 9वीं अनुसूची को पहले संशोधन में ही क्यों जोड़ा गया?
उत्तर: 9वीं अनुसूची को 1951 के पहले संशोधन द्वारा इसलिए जोड़ा गया ताकि सरकार द्वारा लाए गए ज़मींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार कानूनों को "संपत्ति के मौलिक अधिकार" (तब अनुच्छेद 31) के उल्लंघन के आधार पर अदालतों में चुनौती न दी जा सके और सुधार कार्य जारी रह सकें।
प्रश्न 4: दल-बदल कानून (Anti-Defection Law) किस अनुसूची में है?
उत्तर: दल-बदल विरोधी कानून 10वीं अनुसूची में है, जिसे 1985 में 52वें संविधान संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया था।
प्रश्न 5: 7वीं अनुसूची में तीन सूचियाँ कौन सी हैं?
उत्तर: 7वीं अनुसूची में शक्तियों के बंटवारे के लिए तीन सूचियाँ हैं: 1) संघ सूची (जिस पर केंद्र कानून बनाता है), 2) राज्य सूची (जिस पर राज्य कानून बनाते हैं), और 3) समवर्ती सूची (जिस पर दोनों कानून बना सकते हैं)।

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