संविधान (8वां संशोधन) 1960। 8th Constitution Amendment

8वां संविधान संशोधन क्या है?

भारतीय संविधान का आठवां संशोधन (8th Constitutional Amendment), जो 1960 में लागू हुआ, एक बहुत ही विशिष्ट और महत्वपूर्ण उद्देश्य के लिए किया गया था।

इसका मुख्य उद्देश्य संविधान के अनुच्छेद 334 (Article 334) में संशोधन करना था। इस संशोधन के द्वारा अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए सीटों के आरक्षण और एंग्लो-इंडियन समुदाय के लोकसभा में मनोनयन (representation) की अवधि को 10 वर्षों के लिए और बढ़ा दिया गया

संविधान (8वां संशोधन) 1960। 8th Constitution Amendment

इस संशोधन का भाषा नीति या 8वीं अनुसूची से कोई संबंध नहीं था। यह पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिनिधित्व के विस्तार पर केंद्रित था।

इस संशोधन की जरूरत क्यों पड़ी?

इसके पीछे का कारण बहुत स्पष्ट और तात्कालिक था:

  • मूल संविधान का प्रावधान: जब 1950 में संविधान लागू हुआ, तब अनुच्छेद 334 में यह प्रावधान था कि SC/ST और एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए यह विशेष प्रतिनिधित्व (आरक्षण) "संविधान के लागू होने से 10 वर्षों" तक ही जारी रहेगा।
  • समाप्ति की तिथि: यह 10 साल की अवधि 25 जनवरी 1960 को समाप्त हो रही थी।
  • तत्कालिक आवश्यकता: सरकार और संसद का मानना था कि इन समुदायों के उत्थान के लिए अभी भी इन प्रावधानों की आवश्यकता है और उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व को जारी रखना जरूरी है। इसलिए, इस समयसीमा को समाप्त होने से ठीक पहले इसे बढ़ाना आवश्यक हो गया।

यह संशोधन कब और कैसे हुआ?

     
  • संशोधन अधिनियम: संविधान (आठवां संशोधन) अधिनियम, 1959 (बिल 1959 में पेश किया गया था)
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  • संविधान में संशोधित अनुच्छेद: अनुच्छेद 334 (Article 334)
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  • लागू तिथि: 5 जनवरी 1960 (राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद)
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  • सरकार: जवाहरलाल नेहरू की सरकार

इस संशोधन ने अनुच्छेद 334 में जहां "दस वर्ष" (ten years) लिखा था, उसे बदलकर "बीस वर्ष" (twenty years) कर दिया।

संशोधन से पहले और बाद में क्या बदलाव हुए?

                                                                   
संशोधन से पहले (मूल संविधान)संशोधन के बाद (1960)
अनुच्छेद 334 के अनुसार, SC/ST और एंग्लो-इंडियन के लिए आरक्षण 25 जनवरी 1960 को समाप्त होना था।आरक्षण की अवधि को 10 वर्ष और बढ़ाकर 1970 तक कर दिया गया।
आरक्षण की मूल अवधि 10 वर्ष (1950-1960) थी।आरक्षण की कुल अवधि 20 वर्ष (1950-1970) हो गई।

संशोधन का महत्व और प्रभाव

इस संशोधन का मुख्य महत्व यह था कि इसने आरक्षण की नीति को जारी रखा। यह पहला मौका था जब आरक्षण की समयसीमा बढ़ाई गई।

  • इसके बाद, यह एक आवर्ती (recurring) प्रक्रिया बन गई। हर 10 साल में, इस समयसीमा को संसद द्वारा अगले 10 वर्षों के लिए बढ़ाया जाता रहा है।
  • उदाहरण के लिए, 23वां (1970), 45वां (1980), 62वां (1990), 79वां (2000), 95वां (2010), और 104वां (2020) संशोधन, सभी इसी आरक्षण अवधि को बढ़ाने के लिए किए गए।
  • (नोट: 104वें संशोधन ने SC/ST आरक्षण को तो 2030 तक बढ़ाया लेकिन एंग्लो-इंडियन मनोनयन के प्रावधान को आगे नहीं बढ़ाया।)

क्या कोई सुप्रीम कोर्ट का मामला जुड़ा था?

हालांकि 8वें संशोधन से सीधे जुड़ा कोई बड़ा सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं था, क्योंकि यह संसद की संवैधानिक शक्ति के भीतर एक सीधा विस्तार (extension) था।

आरक्षण की वैधता और समय-सीमा को लेकर बाद के कई मामलों (जैसे इंदिरा साहनी केस) में व्यापक बहस हुई, लेकिन इस विशिष्ट 10-वर्षीय विस्तार को आमतौर पर चुनौती नहीं दी गई थी, क्योंकि इसे संविधान द्वारा अनुमत माना गया था।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

   
   

8वां संविधान संशोधन कब हुआ?

   
     

8वां संशोधन 5 जनवरी 1960 को लागू हुआ था।

   
 
   
   

8वां संविधान संशोधन किससे संबंधित है?

   
     

यह संशोधन अनुच्छेद 334 के अंतर्गत अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए राजनीतिक आरक्षण की समयावधि को 10 वर्ष (1960 से 1970 तक) बढ़ाने से संबंधित था।

   
 
 
   

क्या इस संशोधन से 8वीं अनुसूची (भाषाओं) में बदलाव हुआ?

   
     

नहीं। 8वें संशोधन का भाषाओं से कोई संबंध नहीं था। 8वीं अनुसूची में पहला बड़ा बदलाव 21वें संशोधन (1967) के द्वारा किया गया था, जब सिंधी भाषा को जोड़ा गया।

   
 

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