संविधान कब लागू हुआ? (26 Jan 1950) | Republic Day

 


                                                                         
संविधान कब लागू हुआ? (26 Jan 1950) | Republic Day






प्रस्तावना: एक राष्ट्र का जन्म

भारत का संविधान हमारे देश का सर्वोच्च कानून है, जो भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करता है। यह सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के अधिकारों, कर्तव्यों और आकांक्षाओं का जीवंत दस्तावेज है। यह हमारी शासन व्यवस्था की नींव रखता है।

लेकिन जब भी संविधान की बात होती है, दो तारीखें सामने आती हैं - 26 नवंबर और 26 जनवरी। इससे अक्सर यह सवाल पैदा होता है – "भारत का संविधान कब लागू हुआ?" और इसे लागू करने के लिए 26 जनवरी की तारीख ही क्यों चुनी गई? चलिए, इस ऐतिहासिक दिन और इसके पीछे की पूरी कहानी को विस्तार से समझते हैं।


भारत का संविधान कब लागू हुआ? (Bharat ka Samvidhan Kab Lagu Hua)

इस सवाल का सीधा और स्पष्ट उत्तर है: भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को पूरी तरह से लागू हुआ था।

इसी दिन, भारत ने ब्रिटिश 'डोमिनियन' की स्थिति को समाप्त कर खुद को एक 'संप्रभु गणराज्य' (Sovereign Republic) घोषित किया। इस ऐतिहासिक दिन को हम हर वर्ष गणतंत्र दिवस (Republic Day) के रूप में पूरे गर्व और उत्साह के साथ मनाते हैं। 'गणराज्य' बनने का अर्थ था कि अब भारत का राष्ट्र-प्रमुख (राष्ट्रपति) वंशानुगत (जैसे राजा या रानी) नहीं होगा, बल्कि जनता द्वारा चुना जाएगा।


संविधान 'लागू होने' और 'अपनाने' में क्या अंतर है?

संविधान के लागू होने की तारीख को समझने के लिए, हमें 'अपनाने' (Adoption) और 'लागू होने' (Enforcement) के बीच का महत्वपूर्ण अंतर समझना होगा।

1. संविधान को अपनाना (Adoption) - 26 नवंबर 1949

संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान के निर्माण का कार्य पूरा होने के बाद, 26 नवंबर 1949 को इसे औपचारिक रूप से अपनाया गया था। इस दिन संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने इस पर हस्ताक्षर किए और इसे पारित घोषित किया।

इसी ऐतिहासिक दिन के महत्व को रेखांकित करने के लिए, भारत में हर साल 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' (Constitution Day) के रूप में मनाया जाता है।

2. संविधान का लागू होना (Enforcement) - 26 जनवरी 1950

भले ही संविधान 26 नवंबर 1949 को अपना लिया गया था, लेकिन इसके अधिकांश प्रावधानों को लागू करने के लिए दो महीने का इंतजार किया गया। 26 जनवरी 1950 वह दिन था जब यह संविधान पूरी तरह से देश में लागू हुआ और भारत एक पूर्ण गणराज्य बना। इसने 'भारत सरकार अधिनियम 1935' और 'भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947' जैसे ब्रिटिश कानूनों की जगह ले ली।


आख़िर 26 जनवरी की तारीख ही क्यों चुनी गई?

संविधान लागू करने के लिए 26 जनवरी की तारीख का चुनाव कोई संयोग नहीं था; इसके पीछे एक बहुत महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कारण था।

यह कहानी 1929 के दिसंबर महीने में शुरू होती है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन चल रहा था, जिसकी अध्यक्षता पं. जवाहरलाल नेहरू कर रहे थे। इसी अधिवेशन में ऐतिहासिक "पूर्ण स्वराज" (Complete Independence) का प्रस्ताव पारित किया गया।

कांग्रेस ने यह घोषणा की कि अब भारत का लक्ष्य डोमिनियन स्टेटस नहीं, बल्कि पूर्ण स्वतंत्रता है। साथ ही यह तय किया गया कि 26 जनवरी 1930 को पूरे देश में 'प्रथम स्वतंत्रता दिवस' या 'पूर्ण स्वराज दिवस' के रूप में मनाया जाएगा।

26 जनवरी 1930 को ऐसा किया भी गया। 1947 में जब देश आज़ाद हुआ, तब तक 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता था।

जब हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हुआ, तो हमारे नेताओं ने 'पूर्ण स्वराज' के इस ऐतिहासिक दिन (26 जनवरी) को अमर बनाने का फैसला किया। इसी कारण, उन्होंने दो महीने इंतजार किया और 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू करके इस दिन को 'गणतंत्र दिवस' के रूप में स्थापित कर दिया।


क्या 26 नवंबर 1949 को कुछ भी लागू नहीं हुआ था?

यह एक बहुत ही दिलचस्प तथ्य है कि 26 नवंबर 1949 को जब संविधान अपनाया गया, तब इसके कुछ अनुच्छेद (Articles) तुरंत लागू हो गए थे। ये प्रावधान मुख्य रूप से अंतरिम व्यवस्था (Interim arrangements) से संबंधित थे।

उदाहरण के लिए:

  • नागरिकता (Citizenship) से संबंधित प्रावधान (अनुच्छेद 5, 6, 7, 8, 9)
  • राष्ट्रपति की शपथ (अनुच्छेद 60)
  • चुनाव आयोग से संबंधित प्रावधान (अनुच्छेद 324)
  • अस्थायी संसद (Provisional Parliament) और कुछ अन्य अस्थायी प्रावधान (अनुच्छेद 366, 367, 379, 380 आदि)

ये प्रावधान तुरंत लागू कर दिए गए ताकि 26 जनवरी 1950 को मुख्य संविधान के लागू होने तक देश का शासन सुचारु रूप से चल सके। लेकिन संविधान का बड़ा हिस्सा और उसका मूल ढाँचा 26 जनवरी 1950 को ही लागू हुआ।


संविधान निर्माण की प्रक्रिया: एक भागीरथी प्रयास

भारत का संविधान रातों-रात नहीं बना। यह एक लंबी, गहन और विचारशील प्रक्रिया का परिणाम था, जिसमें देश के कोने-कोने से आए विद्वानों ने अपना योगदान दिया।

  • कैबिनेट मिशन (1946): संविधान निर्माण के लिए एक 'संविधान सभा' (Constituent Assembly) के गठन का प्रस्ताव कैबिनेट मिशन योजना के तहत किया गया।

  • पहली बैठक: संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई। डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को इसका अस्थायी अध्यक्ष चुना गया। बाद में, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को स्थायी अध्यक्ष चुना गया।

  • प्रारूप समिति: संविधान का मसौदा (Draft) तैयार करने के लिए 29 अगस्त 1947 को 'प्रारूप समिति' (Drafting Committee) का गठन किया गया, जिसके अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे। इसीलिए उन्हें 'भारतीय संविधान का जनक' या 'मुख्य वास्तुकार' कहा जाता है। (आप संविधान निर्माण की विभिन्न समितियों के बारे में यहाँ पढ़ सकते हैं।)

  • लगा समय: संविधान को बनाने में कुल 2 साल, 11 महीने और 18 दिन लगे। इस दौरान कुल 11 सत्र आयोजित किए गए और संविधान के मसौदे पर 114 दिनों तक बहस हुई।

नीचे दिया गया वीडियो संविधान निर्माण की प्रक्रिया पर एक अच्छी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है:

 

👉 तो मुख्य सवाल का स्पष्ट उत्तर है:
भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।


संविधान लागू होने के प्रमुख परिणाम क्या हुए?

26 जनवरी 1950 को जैसे ही संविधान लागू हुआ, भारत की राजनीतिक व्यवस्था में कई बड़े और मौलिक बदलाव आए:

  1. भारत एक गणराज्य बना: भारत 'डोमिनियन' दर्जे से एक 'संप्रभु गणराज्य' बन गया। लोकतंत्र और गणतंत्र के रूप में हमारी स्थापना हुई।

  2. राष्ट्रपति पद की शुरुआत: देश के प्रमुख के रूप में 'गवर्नर-जनरल' का पद समाप्त हो गया और 'राष्ट्रपति' का पद सृजित हुआ। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति बने।

  3. सर्वोच्च कानून लागू हुआ: संविधान देश का सर्वोच्च कानून बन गया। संसद, सरकार, न्यायपालिका और सभी नागरिकों को इसके दायरे में लाया गया।

  4. नागरिकों को अधिकार मिले: संविधान के लागू होते ही, मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) और मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties) नागरिकों को प्राप्त हुए, जिसने उन्हें सही मायने में स्वतंत्र बनाया।


भारतीय संविधान की कुछ अनूठी विशेषताएं

भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है। यह अपनी कई विशेषताओं के लिए जाना जाता है:

  • विभिन्न स्रोतों से प्रेरित: इसे 'उधार का थैला' भी कहा जाता है क्योंकि इसके कई प्रावधान, जैसे मौलिक अधिकार (USA), संसदीय प्रणाली (UK), और नीति-निर्देशक तत्व (आयरलैंड) अन्य देशों के संविधानों से प्रेरित हैं। (विस्तार से भारतीय संविधान के स्रोतों के बारे में पढ़ें।)

  • विशाल संरचना: मूल रूप से, इसमें 395 अनुच्छेद (Articles), 22 भाग (Parts) और 8 अनुसूचियाँ (Schedules) थीं। वर्तमान में, संशोधनों के बाद, इसमें लगभग 470 अनुच्छेद, 25 भाग और 12 अनुसूचियाँ हैं।

  • कठोरता और लचीलेपन का मिश्रण: इसमें संशोधन करना न तो बहुत आसान है (जैसे UK) और न ही बहुत मुश्किल (जैसे USA)।


संविधान की आत्मा: उद्देशिका (Preamble)

संविधान की शुरुआत इसकी उद्देशिका (Preamble) से होती है, जिसे 'संविधान की आत्मा' या 'पहचान पत्र' भी कहा जाता है। यह संविधान के मूल दर्शन और उद्देश्यों को सारांशित करती है:

“हम भारत के लोग...” से शुरू होने वाली यह उद्देशिका भारत को संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करती है और सभी नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता का आश्वासन देती है।


प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य (FAQ)

जो छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए ये तथ्य अत्यंत महत्वपूर्ण हैं:

प्रश्न उत्तर
भारत का संविधान कब लागू हुआ? 26 जनवरी 1950
भारत का संविधान कब अपनाया गया? 26 नवंबर 1949
संविधान दिवस कब मनाया जाता है? 26 नवंबर
गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है? क्योंकि इस दिन संविधान लागू हुआ था।
संविधान सभा के अध्यक्ष कौन थे? डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे? डॉ. भीमराव अंबेडकर
संविधान बनने में कितना समय लगा? 2 साल, 11 महीने, 18 दिन

निष्कर्ष

संक्षेप में, भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिसने भारत को एक संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य में परिवर्तित कर दिया। यह तारीख (26 नवंबर 1949) जब संविधान को अपनाया गया था, उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी कि 26 जनवरी 1950, जब इसे लागू किया गया।

यह संविधान सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि हमारे देश की आत्मा है, जो हमें मौलिक कर्तव्य याद दिलाता है और मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है। आज भी हमारा संविधान हमारी एकता, अखंडता और विविधता में एकता का सबसे बड़ा प्रतीक है।


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